दोन क्षणामधलं अंतरमी मोजत राहते
तू यायचा असलास की
मग सगला हिशोब पुसला जातो
तू येताना दिसलास की
--------------------------------------------------------
तुझी चाहुलच मला नेते
माझं बोट धरून
तू दिसली नाहीस की मी म्हणतो
यायला निघाली असशील घरून
--------------------------------------------------------
माझे बरेचसे गहाळ झालेले चेहरे
एक एक करत मिळायला लागले
आणि तेव्हाचे राहून गेलेले संदर्भ
नव्याने कळायला लागले
--------------------------------------------------------
देहाच्या भिंती होतात
तुला माझ्यात सामावुन घेताना
पण तरी मी खुपदा अनुभवलयं
तुला अलगद माझ्यात येताना
--------------------------------------------------------
सुखाचं सरोवर असतं
तुडुंब भरलेलं
आणि आपल्या हातात असतं भांड
तळाशी विरलेलं
--------------------------------------------------------
आपण भेटल्यावर काय बोलतो?
हा प्रश्न तू गेल्यावर मला पडतो
आणि आपण शहाणं असल्यावरचा विश्वास
एका क्षणात उडतो
--------------------------------------------------------
हल्ली मला कशाचंच वाईट वाटत नाही
याचंच मला दु:ख होतं
आणि माझा हा बोथटपणा बघून
माझंच मन थक्क होतं
--------------------------------------------------------
नजर तुला शोधत राहते
तू दिसेपर्यंत
मग पापण्याआड़ लपून राहते
तू समोर असेपर्यंत
--------------------------------------------------------
मलाच माहीत नसलेलं एक दु:ख
माझ्या मनात साठून आहे
बरेचदा मी विचार करतो
नक्की याचा ओघ कुठून आहे
--------------------------------------------------------
मनातल्या मनात प्रेम म्हणजे
तारेवरची कसरत
जितकं सावध पाऊल टाकायचं
तितकं राहतो घसरत!!
--------------------------------------------------------
Post a Comment Blogger Facebook