मराठी विनोद
रेल्वेतून प्रवास करताना, श्रीपतराव मोठ्या दिलगिरीने सहप्रवाश्याला म्हणाले, "मला कमी ऐकु येतं एवढं मला ठाउक होतं परंतु आता तर असं वाटतयं की मी ठार बहिराच झालोय, कारण तुम्ही मगाच पासुन बोलत आहात त्यतिल अवाक्षरही मला ऐकु येत नाहीए"। सहप्रवासी गणपतराव म्हणाले, "आपला गैरसमज झालाय. मी बोलत नव्हतो तर चुईंगम खात होतो!"
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तिंबूनाना आणि विमलाबाई फ़िरायला गेले होते. वाटेत एका दुकानाबाहेरील पाटिकडे विमलाबाईंच लक्ष गेलं आणि त्या आनंदाने नाचायला लागल्या. कारण त्या पाटीवर लिहलं होतं,
बनारस साडी १० रु.
रेशमी साडी ५ रु.
सुती साडी २ रु.
विमलाबाई तंबूनानांना म्हणाल्या, "आहो लवकर शंभर रुपये द्या. आपण भरपुर साड्या घेऊया!"
तंबूनाना वैतागुन म्हणाले," मुर्ख आहेस! अग ती लाँड्री आहे! साड्यांचे दुकान नाही."
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बाई ः एका शेतात आठ बकऱ्या होत्या त्यापैकी चार बकऱ्या कुंपणावरुन ऊड्या मारुन रस्त्यावर गेल्या तर शेतात कीती राहिल्या?
वर्गातला शेतकऱ्याचा मुलगा ः एकही नाही.
बाई ः नाहि कसं? मागे काही उरतीलचं.
शेतकऱ्याचा मुलगा ः बाई तुम्हाला गणित माहीती असेल परंतु बकऱ्यांची माहिती नाही
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चिमणराव तक्रार गुदरण्यासाठी पोलिस ठाण्यावर गेले.
म्हणाले, मी जंगलातुन प्रवास करताना माझ्याजवळचे पैसे, घड्याळ, सोन्याची साखळी, इतके सगळे सामान चोरट्यांनी पळवले"
"पण साहेब, मला वाटतं तुमच्याजवळ पिस्तुल होतं." अधिकारी म्हणाला.
"नशिब ते त्यांना सापडलं नाहि।" चिमणराव उत्तरले!
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एक महिला आपल्या पाच वर्षिय मुलाला घेउन डॉक्टरांकडे गेली. तपासून झाल्यावर डॉक्टरांनी त्याला विचारलं, "बाळं, तुला नाक किंवा कानाचा काही त्रास होतो का?"
नाक पुसुन बाळ उत्तरला, "हो ना! गंजीफ़्रॉक घालताना काढ्ताना फ़ारच त्रास होतो!!"
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एकदा एक माणुस दुकानात गेला व दुकानदारास म्हणाला-
"काय हो, काल मी तुमच्याकडुन जे डाग घालवायचं औषध घेउन गेलो……" त्यावर दुकानदार म्हणाला "मग आणखि काही हवं आहे का?"
"हो त्या औषधाचे डाग घालवण्याचं औषध हवं आहे।" तो माणूस म्हणाला
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एकदा श्री. बोडसे दुकानात गेले व म्हणाले "मी काल तुमच्याकडून जो डबा घेउन गेलो तो उघडायचा कसा ते कळतच नाहीए." त्यावर दुकानदार म्हणाला " डबा कसा उघडायचा याचं पत्रक डब्यातंच आहे."
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एकदा एक इन्स्पेक्टर गाडीत शिरला. समोर पाहतो तर एक हवालदार उठून उभा राहिलेला. इन्स्पेक्टर म्हणाला, "अरे अरे उठायची गरज नाही. बसलास तरी चालेल." असे दोन-तीन वेळा झाल्यावर शेवटी तो हवालदार म्हणाला, " साहेब माझं स्टेशन कधीच गेलं. आता तरी मला उतरु द्या.
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