जहर क्या है?
कुछ भी जो हमारी जरूरत से ज्यादा हो, जहर है. वह चाहे ताकत हो, दौलत हो, भूख हो अहं हो, लालच हो, आलस हो, प्रेम हो, महत्वाकांक्षा हो, नफरत हो या और कुछ भी...


डर क्या है?
जीवन अनिश्चित है यह स्वीकार ना करना भय है.
यदि हम भय को स्वीकार लें तो यह एक रोमांचपूर्ण यात्रा हो जाये.


जलन क्या है
दूसरों की भलाई स्वीकार ना कर पाना जलन ईष!र्या है.
अगर हम दूसरों में भलाई स्वीकार कर लें तो वो हमारे लिए प्रेरणा बन जाए


क्रोध क्या है?
यह स्वीकार ना कर पाना की 'चीजें हमारे नियंत्रण् में नहीं हैं'
यदि हम स्वीकार कर लें तो यह हमारा धैर्य बन जाए।


नफरत क्या है?
जो जैसा है उसे वैसा ही स्वीकार ना कर पाना नफरत है
यदि हम व्यक्ति को बिना शर्त स्वीकार कर लें
तो प्यार के सिवा क्या शेष रह जाये. 


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