वळवाच्या पावसाकडून
कधी गुन्हा घडायचाच
रपरपणाऱ्या सरींनी
रानात धुरळा उडायचाच

- महादेव बुरुटे, शेगाव (जत, सांगली) 
------------------------------------------------------------

जे सरून गेले, ते दिवस
आणि उरली ती आठवण
तुझ्याविना माझं जीवन
म्हणजे दुःखाचीच साठवण

- प्रा. शरद गायकवाड, येणेगुर (ता. उमरगा)
------------------------------------------------------------

क्षणभराची भेट तुझी
त्यात खूप काही बोलणं
कसं शक्‍य आहे
असंख्य चांदण्या मोजणं? 

- महादेव कोरे, पुणे 
------------------------------------------------------------


प्रेमात पडलं की
मनाला होते जखम
तिचं हसणं हेच
या जखमेवरचे मलम

- दीपक राखुंडे, सुखापुरी (अंबड)
------------------------------------------------------------

तू हळव्या मनात माझ्या
सळसळते पिंपळपान
प्रेमाचे हिरवे नाते
नखशिखान्त सुंदर, छान

- रा. वि. शिशुपाल, पारगाव (दौंड)
------------------------------------------------------------

चंद्राच्या साक्षीनं दिलेलं वचन
जेव्हा तू मोडलं
तेव्हापासून चांदण्यात
जाणं मी सोडलं

- किरण दशमुखे, सटाणा (नाशिक)
------------------------------------------------------------

ओल्या मातीचा गंध
जसा पावसाच्या पाण्यात
तसाच तुझ्या अस्तित्वाचा
गंध मनाच्या गाभाऱ्यात

- भाग्यश्री राजे, पुणे 
------------------------------------------------------------

तू माझी आहेस म्हणून
किती बरं वाटतं मला
नाहीतर हे जग म्हणजे
जसं खायला उठतं मला

- विलास पिंगळे, पाबळ (शिरूर, पुणे) 
------------------------------------------------------------

प्रेम कुठे शोधतोस तू
प्रेम नसते दहा दिशांत
पैसा पैसा जप वेड्या
प्रेम असते भरल्या खिशात !

- विजयकुमार निलंगेकर, बीड
------------------------------------------------------------

काट्यांचं प्रेम असतं गुलाबावर
म्हणून तोडणाऱ्याला ते टोचत असतात
पण काटे बाजूला केले जाताना
गुलाब का शांत बसतात?

- संदीप निकम, धाड (बुलडाणा) 
------------------------------------------------------------


प्रेम असते प्रेमासारखेच पवित्र
मनोमंदिरात ते पूजायचे असते
आज जडले आणि उद्या उडाले
असे कधीच ते उथळ नसते

- वैशाली टिकेकर, देवरुख (रत्नागिरी)

------------------------------------------------------------
मी आठवायचं, तू विसरायचं
मी विसरायचं, तू आठवायचं
असं घडत गेलं तरीही
मन एकमेकांकडं पाठवायचं

- हेमंत कुलकर्णी, नारायणगाव (पुणे)

------------------------------------------------------------

आयुष्याच्या हिरवळीचं
नाव असतं युवा
संग्रामातील वीर अन्‌
तिमिरामधला दिवा

- स्वप्नील इंगोले, मोरगाव (काकड), (अकोला)

------------------------------------------------------------

तुझ्या-माझ्या आयुष्यातील गुपित
ठेवलंय मी माझ्या हृदयाच्या कुपीत
पण विचारतात सारे खोदून खोदून
काय करायचंय ते त्यांना शोधून ?

- विलास देशमुख, खेड (सातारा)

------------------------------------------------------------

रानातला रस्ता
संपून जातो श्‍वासा-भासात
तू हवायस म्हणून सांगतात
दिशा दिशा भासात

- डॉ. शीतल हिरेमठ, गोडोली (सातारा)

------------------------------------------------------------

दिसलीस रस्त्यात कधी तर
अनोळखी बनून जातेस निघून
पण मुकी तुझी नजर मला
नाते जुने जाते सांगून

- नंदकुमार येवले, (पुणे) 
 ------------------------------------------------------------
नशीब माझं उजळलं
सहज जेव्हा दिसलीस
पुनवचांदणं उधळलं
गोड जेव्हा हसलीस

- पुंडलिक गारुळे, नागपूर
------------------------------------------------------------

केशसंभारावर करू कविता
की गालांवर लिहू गीत?
सांग सुंदरी! कोणत्या तऱ्हेने
व्यक्त करू मी प्रीत ?

- वैभव कुलकर्णी, जालना
------------------------------------------------------------

तुला विसरल्याचं नाटक करणं
मला खरंच जमत नाही
म्हणून तर तुझ्या गावात
माझं मन रमत नाही

- शिवाजी घुगे, हगोली
------------------------------------------------------------

काय पाहिलं तुझ्यात
अन्‌ प्रेमात मी पडलो
हृदय तुला दिलं
मी एकटाच उरलो

- नितीन चौधरी, परळी वैजनाथ
------------------------------------------------------------

तुझ्या-माझ्या प्रेमाचे
शब्दच आहेत साक्षीदार
नाजूक आपल्या प्रेमातील
प्रत्येक गोष्ट नक्षीदार

- उदय कांबळे, शिरोली  
------------------------------------------------------------ 

टिप्पणी पोस्ट करा Blogger

टिप्पणी पोस्ट करा

 
Top